Poetry गजल :- उठो, तलाश करो,

उठो, तलाश करो, अगर कुछ नहीं तो कोई काम करो,
खुद को छोड़ो, पहले रुतबे और दौलत से पहचान करो।

दोस्त, दुनिया में इश्क़ की क़ीमत समझा करो,
मगर पहले इश्क़ के सच्चे खरीदार की खोज करो।

सब कहते हैं, अमीर बस्ती में किसी भी तरह बसा करो,
पर कोई तो कभी किसी लफ्ज़ से दुआ को याद करो।

हर कोई कहता है, पैसा, पैसा और बस पैसा कमाया करो,
फिर कहते हैं, उस खुदा को भी सच्चे दिल से पुकारा करो।

सब ठीक है, मैं कुछ नहीं, ना मेरी तलाश करो,
ये दुनिया की बातें हैं, इनमें अपना वक़्त न जाया करो।

इस शहर में जब अपनी राह मुकम्मल करो,
तब कोई आकर मुझे दुनिया से रुख़सत करो।

लेखक :- लक्की राठौड़
संपर्क :- kahanianugoonj@gmail.com

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